My Dream

 ———————————–
— सपनों क्या करें क्या —-
  ———————————-
सपने देख देख के,

हम तो थक गए,
एक चेहरा हटता नहीं,
न जाने किस कोशिश में।

सुबुकती हैं ये यादें,
तुम्हें क्या पता,
भूल के भी भूल न पाए,
ये हमारी सजा है।

सपना भी अब धुंधला-धुंधला,
क्यूं लागे है आज,
उनकी एक खुशी में न जाने,
हम अपनी खुशी ढूंढने लगे।

हमें तो आदत है,
ऐसे जीने की।
सपनों क्या करें क्या,
चुभते हैं,
यूं ही कभी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  +  15  =  20