कुछ अनकही बातें |
दिल फिर से,
फिसला है आज,
एक मीठी मुलस्कान पे|
पुरानी यादों को छुपा के,
रंगा है ये,
ख्वाब सजाने।।
बेवफा वो तो नहीं,
हमें भी है पता।
दिल की है, इतनी खता
फिर से फिसल गया।।
कुछ अनकही बातें,
हैं ये मेरे दिल कीं।
समय भी ढलता नहीं,
न जाने किस चाहत में।।
तुम आती हो तो,
फूल बरसते हैं यहां।
जाने से पहले देखो,
पतझड़ गिरे कहां कहां।।
–nabajyoti